By: बिहार न्यूज़ टीम
पटना : अपनी बेटी को कथित रूप से कैद करने की खबर पर संज्ञान लेने के बाद पटना हाईकोर्ट के आदेश पर खगड़िया के एक जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा मंगलवार को दोपहर बाद मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश होंगे. मालूम हो कि खबर पर संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की पीठ ने पुलिस से महिला और उसके माता-पिता को सुरक्षा प्रदान करने और महिला को मंगलवार को दोपहर 2:15 मिनट पर मुख्य न्यायाधीश के सामने उनके कक्ष में पेश करने को कहा है.
अदालत ने एक समाचार पोर्टल ‘बार एंड बेंच' पर डाली गयी एक खबर पर संज्ञान लेने के बाद सोमवार को सुनवाई करते हुए यह आदेश सुनाया. खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को अधिकारियों की एक टीम गठित करने का निर्देश देते हैं, जिसमें कम-से-कम दो महिला अधिकारी शामिल हों, जो संबंधित जिले (खगड़िया) जाकर महिला को लेकर आएं और मंगलवार को दोपहर 2:15 मिनट पर हमारे चैंबर में हमारे सामने पेश करने को कहा. आदेश में कहा गया कि न्यायाधीशों ने हाईकोर्ट की वकील अनुकृति जयपुरियार को अदालत की मदद के लिए न्याय मित्र नियुक्त किया.
क्या है मामला
समाचार पोर्टल ‘बार एंड बेंच' की खबर के अनुसार, पीड़िता 24 साल की यशस्विनी पटना के चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से विधि स्नातक हैं. खबर के अनुसार, उनके पिता और खगड़िया के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुभाष चंद्र चौरसिया ने दिल्ली के एक वकील सिद्धार्थ बंसल से संबंधों के कारण महिला को खगड़िया स्थित आवास पर कथित रूप से कैद कर लिया है. खबर में दावा किया गया है कि न्यायाधीश और उनकी पत्नी ने अपनी बेटी से मारपीट भी की और उसकी चीखों को फोन पर बंसल को सुनाया गया. प्रकाशित खबर पर संज्ञान लेने के बाद मामले की सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की. मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा, ''हम काफी शर्मिंदा हैं कि आप जैसे ज्यूडिशियल ऑफिसर हमारे अंदर काम कर रहे हैं.''
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