: बिहार न्यूज़ टीम
पुलिस ने नहीं की फायरिंग, कोर्ट का एक कर्मचारी भी गोली लगने से घायल, दो अपराधी गिरफ्तार
सीतामढ़ी| 11 जवानों की सुरक्षा घेरा में पेशी के लिए सीतामढ़ी कोर्ट पहुंचे कुख्यात संतोष झा को 19 साल के लड़के ने साथी की मदद से भून डाला। जबकि सीजीएम कोर्ट में कार्यरत अनुसेवी संतोष कुमार सिंह गोली लगने से गंभीर रूप से जख्मी हो गया। संतोष झा को गोली मारने के बाद आर्यन नामक अपराधी लाल अपाचे बाइक से भाग निकला। भागते समय आर्यन ने भीड़ के बीच कहा कि उसने अपने पिता की हत्या का बदला ले लिया। वहीं उसके साथी विकास महतो को पुलिस ने कोर्ट परिसर से ही गिरफ्तार कर लिया। हालांकि वह बचने के लिए अपनी पिस्तौल जमीन पर गिरा कर भीड़ का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहा था। मौके से पुलिस ने पिस्तौल व खोखा भी बरामद किया है।
इस बीच एसपी ने इस मामले में लापरवाही के लिए 25 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है। वहीं, एक आरोपी अजीत को मोतिहारी के चकिया से गिरफ्तार पुलिस ने उठाया। दोपहर पौने तीन बजे पुलिस सुरक्षा के बीच सीजेएम कोर्ट में संतोष झा को ले जाया गया था। पेशी के बाद हस्ताक्षर बनाने के लिए बरामदा से जैसे ही संतोष झा बाहर निकला, पेड़ की ओट से दो अपराधियों ने फायरिंग शुरू कर दी। खून से लथपथ संतोष झा को सदर अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। गिरफ्तार विकास चकिया का रहने वाला है। चकिया पुलिस विकास के पिता दिनेश महतो से पूछताछ कर रही है। दिनेश महतो ने कहा कि उसका बेटा पिछले छह माह से गायब है। इधर, संतोष झा की सुरक्षा के लिए 11 जवानों की फौज लगी थी। गोलीबारी के दौरान 11 में से किसी जवान ने भी जवाबी फायरिंग नहीं की।
संतोष को खाकी व खादी दोनों का मिला संरक्षण, सैलरी पर बहाल करता था गुर्गा, हत्या समेत 36 मामलों का आरोपी
गोली लगने के बाद संतोष को ले जाते पुलिसकर्मी। कोर्ट परिसर में सीसीटीवी तो लगा है, पर वायरिंग न होने से फुटेज नहीं मिल सका। कैमरा एक्टिव होता तो जांच में फुटेज से अहम सुराग मिल सकता था।
अपराध की दुनिया में संतोष को खादी व खाकी दोनों का संरक्षण मिला। फरवरी 2012 में पहली बार रांची से मोतिहारी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस की ओर से रिमांड नहीं करने के कारण एक माह में वह जेल से छूट गया। इसके बाद सीतामढ़ी में रंगदारी के लिए दो लोगों की हत्या कर दी। तब पुलिस मुख्यालय के हस्तक्षेप पर आधा दर्जन पुलिस अफसरों पर रिमांड नहीं करने की वजह से कार्रवाई की गई थी। संतोष शिवहर के दोस्तियां गांव का रहने वाला था। परिवार की आर्थिक स्थिित अच्छी नहीं रहने से वह इंटर के बाद हरियाणा की एक फैक्ट्री में काम करने लगा। कुछ ही दिन बाद गांव आकर किसानी करने लगा। संतोष का पिता चंद्रशेखर झा ड्राइवर था। तीन भाई-बहनों में वह सबसे बड़ा था। वह दो दशक पहले नक्सली संगठन से जुड़ा। नक्सली संगठन के लिए लेवी वसूलता था। बाद में अपना गिरोह बनाकर लेवी वसूलने लगा। लेवी व रंगदारी के लिए कई लोगों की मुकेश पाठक के साथ मिल कर हत्या की। दरभंगा में दो इंजीनियरों की हत्या के बाद सरकार ने एसटीएफ को संतोष झा गैंग के सफाये की जिम्मेवारी दी थी। उसने मिथिला में बिहार पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट बना रखा था। नए लड़कों को बाकायदा सैलेरी भी देता था। संतोष से कई नेताओं की निकटता भी कई बार चर्चा में रही।
हत्या की वजह मुकेश पाठक से अदावत तो नहीं?
मोतिहारी कोर्ट में पेशी के दौरान संतोष झा के शूटर अभिषेक झा की हत्या व पैसा के बंटवारे को लेकर संतोष झा व मुकेश पाठक में मनमुटाव बताया जा रहा है। जबकि, संतोष झा व मुकेश पाठक दोनों करीब दो दशक से बहुत ही करीब रहा है। पुलिस का दावा है कि संतोष व मुकेश में अदावत की बात कई स्तर पर सामने आ रही थी। दोनों एक-दूसरे के पीछे पड़े थे। संतोष झा की हत्या के पीछे किन लोगों का हाथ है, इसकी पड़ताल के लिए मौके पर गिरफ्तार विकास के मोबाइल का पुलिस कॉल डिटेल खंगाल रही है। ताकि विकास से जुड़े खास लोगों की पहचान हो सके। पुलिस सूत्रों कहना है कि मुकेश पाठक व संतोष झा में अदावत की जानकारी गिरोह के बाकी अपराधियों को भी थी। संतोष झा, मुकेश पाठक व चिंरजीवी तीनों का अपना-अपना खेमा कुछ महीने से एक्टिव था।
कोर्ट में पेशी के दौरान गोली मार कर हत्या की गई है। एक अपराधी को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार अपराधी का पहले का कोई क्राइम रिकॉर्ड अब तक नहीं निकला है। वह नाम भी पहले गलत बताया। पूछताछ चल रही है। आखिर उसका किसके साथ संपर्क था। पड़ोसी जिले के पुलिस को भी अलर्ट कराया गया है। -सुनील कुमार, जोनल आईजी, मुजफ्फरपुर
वारदात की आंखों देखी: बदमाशों की फायरिंग में घायल संतोष सिन्हा ने बताया
मेरा कलेजा कांप रहा था, सामने संतोष झा छटपटा रहा था, पेशी के बाद संतोष से फाइल पर हस्ताक्षर कराकर कार्यालय में जा रहा था। तभी गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई पड़ी। पलट कर जैसे ही झांका, देखा फायरिंग हो रही थी। गोलीबारी होते देख भागने के क्रम में गोली मेरी दाहिने बांह में जा लगी। मैं कमरे की ओर भागा। मेरा कलेजा थर-थर कांप रहा था। सामने संतोष झा छटपटा रहा था।
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