Friday, August 17, 2018

वाजपेयी ने ही दी थी बिहार को पहली फोरलेन सड़क,अटल सरकार में बिहार को मिली थी पहली बार बड़ी भागीदारी, जानिए


By: बिहार न्यूज़ टीम 

बिहार के विकास में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान विशेष है। बिहार ने पहली बार चार लेन सड़क का चेहरा वाजपेयी जी के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देखा था। लिहाजा शेरसाह सूरी के बाद सड़कों के विकास के मामले में बिहारवासी उन्हीं को याद करते हैं। इसके अलावा मैथिली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में डाल उन्होंने मिथिला वासियों की लंबी मांग पूरी की थी। .

दीघा पुल, कोसी व मुंगेर का महासेतु, राजगीर आयुध कारखाना, बाढ़ थर्मल पावर प्लांट, हरनौत रेल कारखाने की अटल जी के प्रधानमंत्रत्वि काल में ही नींव रखी गई। बिहार के प्रति उनके प्रेम व लगाव को इसी से समझा जा सकता है कि जब 2000 में राज्य का बंटवारा हुआ तो उन्होंने बिहार के साथ भेदभाव नहीं होने की पुरजोर वकालत की। बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड के तहत बिहार को विशेष वित्तीय सहायता दी। इसके अलावा हाजीपुर रेलवे जोन मुख्यालय भी अटल बिहार वाजपेयी की ही देन है। वाजपेयी ने सड़क के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की तो बिहार से गुजरने वाले जीटी रोड को पहली बार फोरलेन बनाया गया। इसके पहले बिहार में कोई फोरलेन सड़क नहीं थी। 

ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर दिया

सड़क के मामले में उनका योगदान ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के रूप में भी बहुत बड़ा है। उनके कार्यकाल में लखनऊ से असम तक जाने वाली इस सड़क का निर्माण शुरू हुआ। बिहार में यह सड़क गोपालगंज से किशनगंज तक बननी थी। इसके अलावा मुंगेर में गंगा पुल के साथ पटना के जेपी सेतु को मंजूरी भी वाजपेयी जी ने ही दी थी। 

" आप सब बिहारी हैं और मैं अटल बिहारी.....

अटल बिहारी वाजपेयी के दिल में बिहार के लिए विशेष सम्मान था। वह कई सभाओं में खुद को बिहारी बताते थे। बिहार का कोना-कोना उनका जाना-पहचाना था। सियासत से जब भी फुर्सत मिलती, बिहार प्रवास पर निकल जाते।

जनसंघ काल से ही कृष्ण बल्लभ प्रसाद नारायण सिंह उर्फ बबुआ जी और कैलाशपति मिश्र के साथ उनके आत्मीय संबंध थे। बिहार प्रवास के दौरान पटना में बबुआ जी, गंगा प्रसाद एवं रविशंकर प्रसाद के घर और रांची में सीताराम मारू के घर अटल जी का महीनों बीतता था।

यही कारण है कि वाजपेयी के नेतृत्व में 1999 में जब केंद्र में पूर्णकालिक सरकार बनी तो बिहार को सबसे ज्यादा भागीदारी मिली। पहली बार केंद्र में संयुक्त बिहार से 17 मंत्री बनाए गए थे। इतनी बड़ी हिस्सेदारी न तो पहले की किसी सरकार में थी और न ही बाद में। 

1996 में पहली बार 13 दिनों की सरकार में ही वाजपेयी ने बिहार के राजनीतिक भविष्य की पटकथा लिख दी थी। नीतीश कुमार को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण जगह दी। 1999 में जब 24 दलों के समर्थन से वाजपेयी की सरकार बनी तो बिहार को न केवल मंत्रिमंडल में विशेष तरजीह दी गई, बल्कि विकास की संभावनाओं को भी रफ्तार मिली।

उस दौरान सिर्फ भाजपा कोटे से बिहार के 12 सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई, जबकि सहयोगी दलों समता पार्टी, जदयू और लोजपा को भी अच्छी भागीदारी दी गई।

जदयू और लोजपा की तुलना में कैबिनेट में नीतीश कुमार की समता पार्टी को ज्यादा जगह दी गई। नीतीश के अलावा जॉर्ज फर्नांडीज और दिग्विजय सिंह को भी मंत्री बनाया गया था। जदयू से शरद यादव एवं लोकजन शक्ति पार्टी से रामविलास पासवान मंत्री बने। 

भाजपा से बिहार से डॉ. सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा, हुकुमदेव नारायण यादव, रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज, राजीव प्रताप रूडी एवं मुनीलाल को शामिल किया गया। झारखंड क्षेत्र से यशवंत सिन्हा, रीता वर्मा और बाबूलाल मरांडी को जगह दी गई, लेकिन अलग झारखंड निर्माण के बाद बाबूलाल को मुख्यमंत्री बनाकर कडिय़ा को कैबिनेट में शामिल किया गया।

बाद में नागमणि पर भी वाजपेयी ने भरोसा जताया। गोधरा कांड के बाद जब रामविलास ने अलग लाइन पकड़ी तो संजय पासवान को मंत्री बनाया गया। इसी तरह कुछ दिनों के लिए निखिल चौधरी को भी मौका दिया गया। 

वाजपेयी ने इन्हें दिया था मौका 

बिहार से 

नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, जॉर्ज फर्नांडीज, शरद यादव, दिग्विजय सिंह, डॉ. सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा, हुकुमदेव नारायण यादव, रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, मुनीलाल, (बाद में) संजय पासवान और निखिल चौधरी 

झारखंड से 

कडिय़ा मुंडा, बाबूलाल मरांडी, यशवंत सिन्हा, रीता वर्मा, नागमणि

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Friday, August 17, 2018

वाजपेयी ने ही दी थी बिहार को पहली फोरलेन सड़क,अटल सरकार में बिहार को मिली थी पहली बार बड़ी भागीदारी, जानिए


By: बिहार न्यूज़ टीम 

बिहार के विकास में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान विशेष है। बिहार ने पहली बार चार लेन सड़क का चेहरा वाजपेयी जी के प्रधानमंत्रित्व काल में ही देखा था। लिहाजा शेरसाह सूरी के बाद सड़कों के विकास के मामले में बिहारवासी उन्हीं को याद करते हैं। इसके अलावा मैथिली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में डाल उन्होंने मिथिला वासियों की लंबी मांग पूरी की थी। .

दीघा पुल, कोसी व मुंगेर का महासेतु, राजगीर आयुध कारखाना, बाढ़ थर्मल पावर प्लांट, हरनौत रेल कारखाने की अटल जी के प्रधानमंत्रत्वि काल में ही नींव रखी गई। बिहार के प्रति उनके प्रेम व लगाव को इसी से समझा जा सकता है कि जब 2000 में राज्य का बंटवारा हुआ तो उन्होंने बिहार के साथ भेदभाव नहीं होने की पुरजोर वकालत की। बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड के तहत बिहार को विशेष वित्तीय सहायता दी। इसके अलावा हाजीपुर रेलवे जोन मुख्यालय भी अटल बिहार वाजपेयी की ही देन है। वाजपेयी ने सड़क के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत की तो बिहार से गुजरने वाले जीटी रोड को पहली बार फोरलेन बनाया गया। इसके पहले बिहार में कोई फोरलेन सड़क नहीं थी। 

ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर दिया

सड़क के मामले में उनका योगदान ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के रूप में भी बहुत बड़ा है। उनके कार्यकाल में लखनऊ से असम तक जाने वाली इस सड़क का निर्माण शुरू हुआ। बिहार में यह सड़क गोपालगंज से किशनगंज तक बननी थी। इसके अलावा मुंगेर में गंगा पुल के साथ पटना के जेपी सेतु को मंजूरी भी वाजपेयी जी ने ही दी थी। 

" आप सब बिहारी हैं और मैं अटल बिहारी.....

अटल बिहारी वाजपेयी के दिल में बिहार के लिए विशेष सम्मान था। वह कई सभाओं में खुद को बिहारी बताते थे। बिहार का कोना-कोना उनका जाना-पहचाना था। सियासत से जब भी फुर्सत मिलती, बिहार प्रवास पर निकल जाते।

जनसंघ काल से ही कृष्ण बल्लभ प्रसाद नारायण सिंह उर्फ बबुआ जी और कैलाशपति मिश्र के साथ उनके आत्मीय संबंध थे। बिहार प्रवास के दौरान पटना में बबुआ जी, गंगा प्रसाद एवं रविशंकर प्रसाद के घर और रांची में सीताराम मारू के घर अटल जी का महीनों बीतता था।

यही कारण है कि वाजपेयी के नेतृत्व में 1999 में जब केंद्र में पूर्णकालिक सरकार बनी तो बिहार को सबसे ज्यादा भागीदारी मिली। पहली बार केंद्र में संयुक्त बिहार से 17 मंत्री बनाए गए थे। इतनी बड़ी हिस्सेदारी न तो पहले की किसी सरकार में थी और न ही बाद में। 

1996 में पहली बार 13 दिनों की सरकार में ही वाजपेयी ने बिहार के राजनीतिक भविष्य की पटकथा लिख दी थी। नीतीश कुमार को मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण जगह दी। 1999 में जब 24 दलों के समर्थन से वाजपेयी की सरकार बनी तो बिहार को न केवल मंत्रिमंडल में विशेष तरजीह दी गई, बल्कि विकास की संभावनाओं को भी रफ्तार मिली।

उस दौरान सिर्फ भाजपा कोटे से बिहार के 12 सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई, जबकि सहयोगी दलों समता पार्टी, जदयू और लोजपा को भी अच्छी भागीदारी दी गई।

जदयू और लोजपा की तुलना में कैबिनेट में नीतीश कुमार की समता पार्टी को ज्यादा जगह दी गई। नीतीश के अलावा जॉर्ज फर्नांडीज और दिग्विजय सिंह को भी मंत्री बनाया गया था। जदयू से शरद यादव एवं लोकजन शक्ति पार्टी से रामविलास पासवान मंत्री बने। 

भाजपा से बिहार से डॉ. सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा, हुकुमदेव नारायण यादव, रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज, राजीव प्रताप रूडी एवं मुनीलाल को शामिल किया गया। झारखंड क्षेत्र से यशवंत सिन्हा, रीता वर्मा और बाबूलाल मरांडी को जगह दी गई, लेकिन अलग झारखंड निर्माण के बाद बाबूलाल को मुख्यमंत्री बनाकर कडिय़ा को कैबिनेट में शामिल किया गया।

बाद में नागमणि पर भी वाजपेयी ने भरोसा जताया। गोधरा कांड के बाद जब रामविलास ने अलग लाइन पकड़ी तो संजय पासवान को मंत्री बनाया गया। इसी तरह कुछ दिनों के लिए निखिल चौधरी को भी मौका दिया गया। 

वाजपेयी ने इन्हें दिया था मौका 

बिहार से 

नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, जॉर्ज फर्नांडीज, शरद यादव, दिग्विजय सिंह, डॉ. सीपी ठाकुर, शत्रुघ्न सिन्हा, हुकुमदेव नारायण यादव, रविशंकर प्रसाद, शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी, मुनीलाल, (बाद में) संजय पासवान और निखिल चौधरी 

झारखंड से 

कडिय़ा मुंडा, बाबूलाल मरांडी, यशवंत सिन्हा, रीता वर्मा, नागमणि

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