: बिहार न्यूज़ टीम
पटनाः नालंदा राजद नेता की हत्या के बाद भीड़ ने प्रतिशोध में 2 लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। इस घटना ने नालंदा में स्कूल डायरेक्टर की पीट-पीटकर की हत्या की घटना को एक बार फिर से ताजा कर दी है। यह घटना तीन साल पहले हुई थी। उस दिन भी पुलिस देखती रह गई थी। भीड़ इतनी हिसंक थी कि एसपी पर भी हमला कर दिया था। शायद उस घटना को ही याद कर वर्तमान एसपी कल की घटना के दौरान घटनास्थल पर देर से पहुंचे।
अब सवाल उठता है कि आखिर नालंदा की भीड़ इतनी हिंसक क्यों होती है। किसी दोषी, आरोपी और अपराधी को सजा देने का काम तो कानून का होता है। ये लोग कैसे हाथ में ले लेते है और पुलिस देखती रह जाती है।
बच्चों के शव मिलने के बाद हिंसक हुई थी भीड़
तीन साल पहले स्कूल के पीछे एक तालाब था। तालाब में दो बच्चों की डूबने से मौत हो गई थी। बच्चों के शव मिलने के बाद परिजनों के साथ गांव के लोग पहुंचे और जमकर हंगामा किया। स्कूल में आग लगा दिया था। इसके बाद भीड़ ने स्कूल डायरेक्टर को बाहर निकाला और बांस से पीट पीटकर डायरेक्टर की हत्या कर दी थी। यह घटना पूरे देश में चर्चा की विषय बनी हुई थी। उस वक्त मॉब लिंचिंग शब्द का प्रयोग बहुत कम ही होता था।

कल की घटना भी हुई इसी तरह से
बुधवार को राजद नेता की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या के बाद जिसपर शक था उसके घर पर भीड़ पहुंची और पहले तो आग लगा दिया फिर उसके बेटे और एक और शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी। परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस देखती रही और भीड़ जान लेती रही।
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