By:बिहार न्यूज़ टीम
पटना| स्नातक नामांकन की गड़बड़ियां स्वीकार नहीं करने वाला बिहार बोर्ड पहले भी अपनी कमियां छुपाने को झूठ का सहारा लेता रहा है। मैट्रिक और इंटर रिजल्ट के समय भी अखबारों में छपी कई खबरों पर भी उसने उंगली उठाई। हालांकि बाद में खबरें पूरी तरह सच साबित हुईं। इस तरह सच्ची खबरों को झूठ बताने के लिए विज्ञापनों पर लाखों रुपये बहा रहे बिहार बोर्ड की कलई हर रोज खुल रही है। बोर्ड द्वारा सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया जा रहा है। .
रिजल्ट की तारीख पर भी झूठ का सहारा : इंटर रिजल्ट में देरी की संभावना खबरों में जताई जाती रही। हैरत की बात यह कि बिहार बोर्ड ने अपने एक विज्ञापन में एक जगह तो कहा कि कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई है। दूसरी जगह लिखा कि अप्रैल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोर्ड अध्यक्ष ने 30 मई तक रिजल्ट प्रकाशित करने की बात कही थी। रिजल्ट 6 जून को तब निकला जब बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर बार्सिलोना से लौटे। संबंधित खबर .
रिजल्ट में देरी व अन्य विसंगतियों को देखते हुए खबरों में यह स्पष्ट संकेत दिया गया था कि इस बार पटना विश्वविद्यालय में नामांकन में बिहार बोर्ड के छात्रों को दिक्कत आएगी। इस पर बोर्ड का कहना था कि यह बात गलत है लेकिन समय के साथ सच्चाई सबके सामने आ गई। पटना विवि में जब नामांकन शुरू हुआ तो पहले दो से तीन दिन बोर्ड के छात्रों का नामांकन नहीं हो सका था। कारण बोर्ड ने मूल अंकपत्र नहीं भेजे थे। .
बार कोड की गड़बड़ी पहले नकारी, फिर सुधार में लगे
बार कोड चिपकाने में हुई गड़बड़ियों के बारे में छपी खबरों का खंडन बिहार बोर्ड ने विज्ञापन के जरिये किया। दावा था कि कोई त्रुटि नहीं हुई। बाद में बोर्ड ने गड़बड़ी सुधारी। फिर भी सैकड़ों छात्रों का रिजल्ट इसी कारण से आज तक लंबित है। गणित के छात्र को बायोलॉजी का रिजल्ट मिलना और ऐसी ही ढेरों गलतियों पर बिहार बोर्ड के बाहर हुआ हंगामा इसका पुख्ता सबूत है। यहां याद दिलाना जरूरी है कि रिजल्ट से पहले बार कोड की गड़बड़ी सुधारने को बोर्ड ने महंत हनुमान शरण स्कूल को केंद्र बनाया था। .
No comments:
Post a Comment