Sunday, July 29, 2018

एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र को लोजपा का अल्टीमेटम,क्या पासवान की नाराजगी के पीछे यह है रणनीति?


By: बिहार न्यूज़ टीम 

एनडीए के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने शुक्रवार को अपनी ही सरकार को अल्टीमेटम दिया। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे और लोजपा संसदीय दल के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि सरकार यदि 8 अगस्त तक एससी/एसटी अत्याचार निरोधक कानून पर अध्यादेश जारी नहीं किया, तो 9 अगस्त से लोजपा की दलित सेना भी आंदोलन में शामिल होगी। . .

जस्टिस गोयल बर्खास्त हों: 

चिराग ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद देशभर में दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इसके साथ ही चिराग ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस आदर्श कुमार गोयल को पद से बर्खास्त करने की मांग भी दोहराई।

रामविलास पासवान की ओर से एनडीए को अपनी तीखी नजर दिखाना एक बहुत बड़े रणनीति को इशारा कर रहा है.

पटनाः एनडीए में शामिल बिहार के सहयोगी दल एक के बाद एक बागी तेवर दिखा रहे हैं. आरएलएसपी की ओर से जहां जेडीयू पर लगातार निशाना साधा जा रहा है. तो वहीं अब एलजेपी की नजर भी तीखी हो रही है. एलजेपी ने तो बीजेपी को ही तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. हालांकि इस घमासान के बीच अलग-अलग बातें भी सामने आ रही है.

जेडीयू के एनडीए में शामिल होने बाद से आरएलएसपी को अपनी शाख पर खतरा मंडराते दिख रहा है. इसलिए बार-बार जेडीयू पर निशाना साध कर आरएलएसपी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है. लेकिन जहां रामविलास पासवान की ओर से कहा जा रहा था कि एनडीए में सबकुछ ठीक है. लेकिन एका-एक बीजेपी के प्रति तेवर कुछ और ही इशारा कर रही है.

सूत्रों की मानें तो रामविलास पासवान की ओर से एनडीए को अपनी तीखी नजर दिखाना एक बहुत बड़े रणनीति को इशारा कर रही है. क्यों कि बीजेपी या केंद्र सरकार के खिलाफ अब तक रामविलास पासवान ने नहीं, बल्कि उनके बेटे चिराग पासवान ने बयान दिया है. हालांकि उनके बयानों पर रामविलास ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. सरकार के खिलाफ एससी-एसटी मामले में मोर्चा खोलने की बात चिराग पासवान ने की है.

ऐसे में यह बड़े रणनीति की ओर इशारा साफ तौर से कर रही है. अगर हम 2019 की राजनीति को देखें तो इसमें सभी युवा राजनेता दिख रहे हैं. एक ओर आरजेडी सुप्रिमो लालू यादव ने अपने दोनों बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप को कमान संभालने दे दिया है. वहीं, कांग्रेस में भी राहुल गांधी को कमान दे दिया गया है. इसके बाद अगर यूपी में समाजवादी पार्टी की बात करें तो अखिलेश यादव ही सपा की बागडोर संभाल रहे हैं. अगर इस तरह से देखा जाए तो रामविलास पासवान भी कुछ ऐसा ही करना चाहते हैं.

रामविलास पासवान के पास एससी-एसटी सपोर्ट का अपना वोट बैंक है. जिस पर इतने सालों से आजतक पासवान खड़े हैं. और इसी वोट बैंक पर वह अपने बेटे को भी खड़ा रखना चाहते हैं. 2019 और 2020 का चुनाव काफी अहम है. यह एक नई पीढ़ी की राजनीति की शुरूआत की तरह दिख रही है. ऐसे में रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान को पीछे नहीं देखना चाहते हैं.

मतलब साफ है कि अगर पासवान को अपने बेटे को सबके साथ खड़ा करना है तो उनके पास यही मौका है, जब वह अपने बेटे को प्रमुखता से प्रोजेक्ट कर सकते हैं. और ऐसा करने से चिराग का राजनीतिक जीवन स्थायी और मजबूत हो सकती है. और यह साफ भी है कि इन दिनों एलजेपी की बागडोर संभालने का काम चिराग पासवान कर रहे हैं. साथ ही राजनीति की बारिकी को समझ रहे हैं. जिस तरह से वह एससी-एसटी एक्ट को लेकर सरकार के खिलाफ खड़े हैं. उससे साफ है कि वह वोट बैंक की राजनीति को समझ गए हैं. और अगर राजनीति में कद बढ़ाना है तो वोट बैंक ही बढ़ा सकता है.

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Sunday, July 29, 2018

एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र को लोजपा का अल्टीमेटम,क्या पासवान की नाराजगी के पीछे यह है रणनीति?


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एनडीए के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने शुक्रवार को अपनी ही सरकार को अल्टीमेटम दिया। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे और लोजपा संसदीय दल के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि सरकार यदि 8 अगस्त तक एससी/एसटी अत्याचार निरोधक कानून पर अध्यादेश जारी नहीं किया, तो 9 अगस्त से लोजपा की दलित सेना भी आंदोलन में शामिल होगी। . .

जस्टिस गोयल बर्खास्त हों: 

चिराग ने कहा कि एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के बाद देशभर में दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इसके साथ ही चिराग ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस आदर्श कुमार गोयल को पद से बर्खास्त करने की मांग भी दोहराई।

रामविलास पासवान की ओर से एनडीए को अपनी तीखी नजर दिखाना एक बहुत बड़े रणनीति को इशारा कर रहा है.

पटनाः एनडीए में शामिल बिहार के सहयोगी दल एक के बाद एक बागी तेवर दिखा रहे हैं. आरएलएसपी की ओर से जहां जेडीयू पर लगातार निशाना साधा जा रहा है. तो वहीं अब एलजेपी की नजर भी तीखी हो रही है. एलजेपी ने तो बीजेपी को ही तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. हालांकि इस घमासान के बीच अलग-अलग बातें भी सामने आ रही है.

जेडीयू के एनडीए में शामिल होने बाद से आरएलएसपी को अपनी शाख पर खतरा मंडराते दिख रहा है. इसलिए बार-बार जेडीयू पर निशाना साध कर आरएलएसपी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है. लेकिन जहां रामविलास पासवान की ओर से कहा जा रहा था कि एनडीए में सबकुछ ठीक है. लेकिन एका-एक बीजेपी के प्रति तेवर कुछ और ही इशारा कर रही है.

सूत्रों की मानें तो रामविलास पासवान की ओर से एनडीए को अपनी तीखी नजर दिखाना एक बहुत बड़े रणनीति को इशारा कर रही है. क्यों कि बीजेपी या केंद्र सरकार के खिलाफ अब तक रामविलास पासवान ने नहीं, बल्कि उनके बेटे चिराग पासवान ने बयान दिया है. हालांकि उनके बयानों पर रामविलास ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. सरकार के खिलाफ एससी-एसटी मामले में मोर्चा खोलने की बात चिराग पासवान ने की है.

ऐसे में यह बड़े रणनीति की ओर इशारा साफ तौर से कर रही है. अगर हम 2019 की राजनीति को देखें तो इसमें सभी युवा राजनेता दिख रहे हैं. एक ओर आरजेडी सुप्रिमो लालू यादव ने अपने दोनों बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप को कमान संभालने दे दिया है. वहीं, कांग्रेस में भी राहुल गांधी को कमान दे दिया गया है. इसके बाद अगर यूपी में समाजवादी पार्टी की बात करें तो अखिलेश यादव ही सपा की बागडोर संभाल रहे हैं. अगर इस तरह से देखा जाए तो रामविलास पासवान भी कुछ ऐसा ही करना चाहते हैं.

रामविलास पासवान के पास एससी-एसटी सपोर्ट का अपना वोट बैंक है. जिस पर इतने सालों से आजतक पासवान खड़े हैं. और इसी वोट बैंक पर वह अपने बेटे को भी खड़ा रखना चाहते हैं. 2019 और 2020 का चुनाव काफी अहम है. यह एक नई पीढ़ी की राजनीति की शुरूआत की तरह दिख रही है. ऐसे में रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान को पीछे नहीं देखना चाहते हैं.

मतलब साफ है कि अगर पासवान को अपने बेटे को सबके साथ खड़ा करना है तो उनके पास यही मौका है, जब वह अपने बेटे को प्रमुखता से प्रोजेक्ट कर सकते हैं. और ऐसा करने से चिराग का राजनीतिक जीवन स्थायी और मजबूत हो सकती है. और यह साफ भी है कि इन दिनों एलजेपी की बागडोर संभालने का काम चिराग पासवान कर रहे हैं. साथ ही राजनीति की बारिकी को समझ रहे हैं. जिस तरह से वह एससी-एसटी एक्ट को लेकर सरकार के खिलाफ खड़े हैं. उससे साफ है कि वह वोट बैंक की राजनीति को समझ गए हैं. और अगर राजनीति में कद बढ़ाना है तो वोट बैंक ही बढ़ा सकता है.

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