By: बिहार न्यूज़ टीम
पटना। पटना के राजीवनगर स्थित ‘आसरा गृह' की दो संवासिनों की संदेहास्पद स्थिति में मौत हो गई। इनमें से एक नाबालिग थी। मुजफ्फरपुर बालिका *गृह और अन्य अल्पावास गृहों की *चल रही जांच के बीच इन दो संवासिनों की मौत से सनसनी फैल गई। राजीवनगर के इसी आसरा गृह से दो दिन पहले चार संवासिनों ने भागने की कोशिश की थी। .
जानकारी पर डीएम और एसएसपी पीरबहोर थाने पहुंचे। पता चला कि एक संवासिन पूनम भारती (17 वर्ष) का अंतिम संस्कार तक कर दिया गया जबकि बबली (40) की लाश अस्पताल में ही थी। तत्काल अफसरों ने बबली के शव को सुरक्षित रख दिया। शव का दोबारा पोस्टमार्टम करने के निर्देश डीएम ने दिया। पटना पुलिस ने इस बाबत एनजीओ के सचिव चिरंतन कुमार, रेणु सिन्हा और अन्य दो को हिरासत में ले लिया है। विभाग की टीम भी दोपहर में पीरबहोर थाने पहुंची थी। पिछले 10 अगस्त की रात दोनों संवासिनों को पीएमसीएच लाया गया था। पीएमसीएच अधीक्षक डॉ. राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि यहां दोनों मृत लाई गई थीं। चर्चा रही कि जिन संवासिनों की मौत हुई है उन्हें पूर्व में मुजफ्फरपुर बालिका गृह से ही यहां भेजा गया था। हालांकि पटना डीएम ने इससे इनकार किया है।
संवासिनों की मौत में सचिव व कोषाध्यक्ष गिरफ्तार
राजीवनगर के नेपालीनगर स्थित ‘आसरा गृह' के दो संवासिनों की मौत मामले में चार पर एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने ‘आसरा गृह' के संचालक सचिव चिरंतन कुमार और कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल को गिरफ्तार किया है। रविवार देर रात मजिस्ट्रेट नीलू पॉल के बयान पर राजीवनगर थाने में एफआईआर की गई है।एफआईआर में चिरंतन कुमार और मनीषा दयाल के अलावा एक डॉक्टर और एएनएम का भी नाम है। दर्ज केस में बताया गया है कि संवासिनों के इलाज में लापरवाही बरती गई। पुलिस ने ‘आसरा गृह' की कर्मी रेणु सिन्हा व अन्य दो को हिरासत में भी लिया है।
मनीषा उर्फ मिलि, ग्लैमर और सियासी कनेक्शन
मनीषा दयाल उर्फ मिलि, ग्लैमर और सियासी कलेक्शन। शुरुआती दौर से ही मनीषा का ग्लैमर से नजदीकी नाता रहा है। शुरू में उसने मॉडलिंग भी की। बाद में कई मॉडलिंग प्रतियोगिता करवाने में भी मनीषा का नाम सामने आया। खेल प्रतियोगिताओं में भी मनीषा की दिलचस्पी थी। मनीषा दयाल का लंबा-चौड़ा सियासी और खाकी कनेक्शन भी है। एक नेता उसके दूर के संबंधी बताये जाते हैं। जबकि पुलिस महकमे में भी मनीषा की अच्छी पहुंच है। बड़ी सिफारिश होने के कारण ही मनीषा के एनजीओ को आसरा गृह चलाने का काम मिला था। खबर यहां तक है कि आगे भी उसे कई बड़े काम मिलने वाले थे। बड़ी पैरवी का ही असर था कि चार लड़कियों के भागने की कोशिश करने के बावजूद मनीषा के एनजीओ के ऊपर एफआईआर दर्ज नहीं की गयी थी। जबकि उस रोज भी एनजीओ की लापरवाही सामने आयी थी।
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