By: बिहार न्यूज़ टीम
नई दिल्ली| बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह बच्चियों के साथ होनेवाले बलात्कार की घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। शीर्ष अदालत ने पीड़ित नाबालिगों की किसी भी तरह की तस्वीर की पूरी तरह से दिखाने पर रोक लगा दी है और केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा।.
न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने राज्य वित्त पोषित एक एनजीओ द्वारा संचालित आश्रय गृह में कथित यौन शोषण की शिकार लड़कियों का मीडिया द्वारा बार-बार साक्षात्कार लिए जाने पर चिंता जताई। पीठ ने बिहार सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किए और कथित पीड़िताओं की तस्वीरों का रूप बदलकर भी इन्हें इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित करने पर रोक लगाई।.
कोर्ट ने मीडिया को कथित यौन शोषित पीड़िताओं का साक्षात्कार नहीं करने का निर्देश दिया और कहा कि उन्हें बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी पीड़िताओं से पूछताछ के दौरान पेशेवर काउंसलर व योग्य बाल मनोचिकित्सकों की मदद लेगी। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी। शीर्ष कोर्ट ने पटना से रणविजय कुमार नामक एक व्यक्ति का एक पत्र मिलने के बाद इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।.
उल्लखेनीय है कि राज्य वित्त पोषित एक एनजीओ के प्रमुख ब्रजेश ठाकुर द्वारा चलाए जाने वाले एक केन्द्र पर 30 से अधिक लड़कियों के साथ कथित रूप से बलात्कार किया गया। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई द्वारा अप्रैल में राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में लड़कियों के कथित यौन शोषण के बारे में बताया गया था। गत 31 मई को ठाकुर समेत 11 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। .
पीड़िताओं को बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उनसे पूछताछ के दौरान पेशेवर काउंसलर व योग्य बाल मनोचिकित्सकों की मदद ले जांच एजेंसी।.
-सुप्रीम कोर्ट
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